बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार का जुल्म जारी है। इस बीच एक विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भाषणों के प्रकाशन पर रोक लगा दी है। अगस्त महीने में देश में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को अपदस्थ कर दिया गया था। पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने भारत में शरण ली थी। यह निर्णय हसीना द्वारा न्यूयॉर्क में अपनी अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को वर्चुअल संबोधन में अपना पहला सार्वजनिक भाषण देने के एक दिन बाद आया है।
शेख हसीना ने बांग्लादेश के अंतरिम नेता, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस पर नरसंहार को अंजाम देने और अल्पसंख्यकों,खास तौर से हिंदुओं की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। जुलाई और अगस्त में बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह के बाद शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और अपदस्थ होने के बाद भारत पहुंच गईं। इस प्रदर्शन में सैकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गए और हजारों घायल हो गए। इन मौतों के लिए शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराते हुए उनपर कई मामले दर्ज किए गए हैं। शेख हसीना और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ विशेष अदालत ने पहले ही गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। यूनुस सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के लिए अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल से मदद मांगी है। आरोपों के मुताबिक हसीना के कुछ भाषण और फोन कॉल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित किए गए थे और गवाहों को प्रभावित या डराकर उनके खिलाफ आरोपों की जांच में हस्तक्षेप कर सकते हैं।