बिहार में चुनावी फिजा में यात्राओं का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा 15 दिसंबर से संभावित है और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 4 दिसंबर को ही यात्रा पर निकल गए। उनकी इस यात्रा का एक अनूठा तथ्य यह है कि दोनों को ही M (मुस्लिम और महिला) समीकरण से चुनावी जीत की उम्मीद है। भले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा एम यानी महिला हैं, वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का भरोसा एम यानी मुस्लिम समुदाय है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव यात्रा के मसले पर नीतीश कुमार से एक कदम आगे बढ़कर उनसे पहले ही यात्रा पर निकल गए हैं। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तेजस्वी यादव कार्यकर्ता सम्मेलन के तीसरे फेज को निकल पड़े। इस चरण में तेजस्वी यादव 4 दिसंबर को मुंगेर, 5 दिसंबर को खगड़िया, 6 दिसंबर को बेगूसराय और 7 दिसंबर को लखीसराय और शेखपुरा जिले के कार्यकर्ताओं के साथ संयुक्त रूप से लखीसराय में ही संवाद करने जा रहे हैं।
ए टू जेड की राजनीति करने वाले तेजस्वी यादव को इस उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसकी वजह में खासकर मुस्लिम मतों में विभाजन की भूमिका अहम दिखी। राजद सूत्रों से मिली जानकारी के बाद इस यात्रा का मुख्य कंसंट्रेशन राजद का एम वाई (मुस्लिम+यादव) समीकरण को दुरुस्त करने का है। एम वाई के बिखराव ने राजद से उसकी विरासत वाली दोनों सीट यानी बेलागंज और रामगढ़ उनके हाथ से छीन लिया। इसलिए राजद का चुनावी मूल मंत्र इस बार एम वाई बनने जा रहा है, जिसे कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने एम वाई समीकरण को संजीवनी दी जाएगी। वैसे भी राजद मुस्लिम और यादव (लगभग 16 और 14 प्रतिशत) के 30 प्रतिशत वोट पर कंसंट्रेट कर चुनावी राजनीति को आधार देना चाहती है।