हाल के समय में दुनिया पर नजर डालें तो हालात बेहतर तो बिलकुल भी नहीं कहे जा सकते हैं। दुनिया के कई हिस्सों में जंग चल रही है या फिर जंग जैसे हालात नजर आ रहे हैं। ऐसे समय में विश्व के पटल पर भारत की भूमिका भी बेहद अहम हो जाती है। यही कारण है कि रूस में हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर पश्चिमी देशों सहित कई अन्य देशों की भी निगाहें हैं। ब्रिक्स की बढ़ती भूमिका और प्रभाव से यह साफ है कि आने वाले वर्षों में यह समूह वैश्विक मंच पर और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी रूस के शहर कजान में इसी के सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे है। तो चलिए आपको बताते हैं कि यह संगठन क्या है, क्यों पश्चिमी देशों की नजर इस सम्मेलन पर है, अमेरिका पर इस सम्मेलन का क्या प्रभाव पड़ने वाला है। तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि ब्रिक्स है क्या।
ब्रिक्स क्या है?
ब्रिक्स (BRICS) पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है। ब्रिक्स शब्द इन पांच देशों के अंग्रेजी नामों के प्रथम अक्षरों से मिलकर बना है। ब्रिक्स की शुरुआत 2006 में हुई जब ब्राजील, रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक न्यूयॉर्क में हुई थी। 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इस समूह में शामिल किया गया, जिसके बाद यह ‘ब्रिक्स’ के नाम से जाना जाने लगा।
ब्रिक्स का उद्देश्य
ब्रिक्स का मुख्य उद्देश्य आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। यह समूह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में सुधार, विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने, और सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने का काम करता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के नेताओं की वार्षिक बैठक है, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती है। यह शिखर सम्मेलन प्रत्येक वर्ष अलग-अलग सदस्य देश में आयोजित किया जाता है। शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए चर्चा होती है और विभिन्न पहलुओं पर समझौते किए जाते हैं।
प्रमुख विषय
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमतौर पर निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा होती है।
– वैश्विक आर्थिक स्थिति: आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता और आर्थिक सुधार।
– व्यापार और निवेश: आपसी व्यापार को बढ़ावा देना और निवेश के अवसरों को प्रोत्साहित करना।
– सुरक्षा: आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और सीमा पार अपराध।
– स्वास्थ्य और शिक्षा: सदस्य देशों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा प्रणाली में सहयोग।
– पर्यावरण: जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण।