मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के बाद अब यूजीसी NET पेपर लीक का मामला सामने आ गया है। नीट और यूजीसी-नेट के छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। देशभर के मेडिकल और यूजीसी नेट छात्र सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। यूजीसी नेट पेपर लीक का कनेक्शन डार्कनेट और टेलीग्राम से निकल कर सामने आया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि यूजीसी-नेट पेपर लीक होना नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की संस्थागत विफलता है। सरकार इसके कामकाज की जांच करने एवं सुधार की सिफारिश करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी गठित करेगी।
डार्कनेट और टेलीग्राम पर शेयर किए गए पेपर
इसके साथ ही शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यूजीसी-नेट को रद्द करना कोई अचानक लिया गया निर्णय नहीं था। हमें इस बात के सबूत मिले हैं कि यूजीसी-नेट के पेपर डार्कनेट पर लीक हो गए थे। इसके पेपर मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ‘टेलीग्राम’ पर शेयर किए जा रहे थे। इसलिए यूजीसी-नेट की परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया गया।
UGC-NET पेपर लीक होने पर NTA की है विफलता
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यूजीसी नेट का पेपर लीक होना एनटीए की संस्थागत विफलता है। सरकार छात्रों को आश्वस्त करती है कि जल्द ही एक सुधार कमेटी गठित की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार एनटीए में सुधारों को लेकर एक हाई लेवल कमेटी बनाने जा रही है। कमेटी को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा इसमें वैश्विक विशेषज्ञ भी शामिल किए जाएंगे।
क्या है डार्कनेट ?
बता दें कि ‘डार्क वेब’ या ‘डार्कनेट’ इंटरनेट का वह हिस्सा है, जो सर्च इंजन की पहुंच से बाहर है। डार्कनेट यूजर्स काफी हद तक फेक अकांउट रहते हैं। उनके आईपी एड्रेस को जल्दी ट्रैस नहीं किया जा सकता है। मुख्य रूप से बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के साथ भुगतान के लिए डार्कनेट का प्रयोग किया जाता है। टेलीग्राम में भी ऐसे ही फेक अकाउंट की संख्या ज्यादा है और वहां भी बड़ी से बड़ी फाइल आसानी से सेंड हो जाती है।