ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भारत ने एक बार फिर उपेक्षित देशों की मूल समस्याों को दुनिया के सामने रखा है। इससे ग्लोबल साउथ के देशों में भारत के प्रति विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर विकासशील देशों में विशेषकर खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। पीएम मोदी ने तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन में अपने शुरुआती भाषण में इसमें भाग ले रहे देशों को डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा क्षेत्र समेत विभिन्न अहम क्षेत्रों में पूर्ण समर्थन देने की भारत की अटूट प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। भारत ने डिजिटल रूप से इस सम्मेलन की मेजबानी की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज हम ऐसे वक्त में बैठक कर रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अब भी पूरी तरह से कोविड-19 के प्रभाव से बाहर नहीं आई है। दूसरी ओर, युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां पैदा कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं।’’ प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं।’