गुजरात के डायमंड नगरी सूरत को हीरा कैपिटल बनाने वाले गोविंद ढोलकिया को बीजेपी ने राज्यसभा का टिकट दिया है। गुजरात विधानसभा में बीजेपी के संख्याबल को देखते हुए उनका निर्वाचन महज औपचारिकता है। ढोलकिया पिछले महीने राम मंदिर के दान करने के लिए सुर्खियों में आए थे।
7 नवंबर 1947 को ग्राम दुधाला में जन्में गोविंद ढोलकिया काका के नाम से मशहूर हैं। उन्हें सूरत को डायमंड कैपिटल बनाने का श्रेय दिया जाता है। वे श्री राम कृष्ण एक्सपोर्ट हीरा कंपनी के मालिक हैं। उन्होंने 1964 में सूरत से करियर शुरू किया था। शुरुआत में हीरे की कटाई और पॉलिशिंग पर काम करते थे।
कुल सालों बाद उन्होंने एक और दोस्त के स्वतंत्र रूप से एक साथ काम करने का फैसला किया।इसके बाद श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट कंपनी बनाई। कच्चे हीरे के व्यापारी हीराभाई वाडीवाला के साथ कारोबार शुरू किया। पॉलिश करने के बाद कच्चे हीरे वजन के हिसाब से 34 प्रतिशत तक दिखाई देते हैं। बताते हैं कि जीरो से करोड़ों का सफर तय करने वाले गोविंद ढोलकिया ने बिजनेस करने के लिए 410 रुपये उधार लिए थे।
इसके बाद उन्होंने हीरे के कारोबार में कूदने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।गोविंद ढोलकिया मूलरूप से गुजरात अमरेली जिले से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपने पैतृक गांव दुधाला में लगभग 850 परिवार को सोनल पैनल रूफटॉप गिफ्ट किए हैं। इसी के साथ दुधाला देश का पहला ऐसा गांव बन गया है जो बिना किसी सरकारी सब्सिडी के 100 फीसदी सौर ऊर्जा से संचालित होगा।
गोविंद ढोलकिया ने अपनी आत्मकथा में अपने जीवन के संघर्ष का जिक्र किया है उनकी आत्मकथा ‘डायमंड आर फॉरेवर, सो आर मोरल्स’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। इसमें उन्होंने बताया कि डायमंड की पहली बिक्री से उन्हें 920 रुपये मिले थे। किसान परिवार में जन्में गोविंद ढोलकिया परिवार में सात भाई बहन हैं। ढोलकिया के जीवन पर राम कथाकर मोरारी बापू के शिक्षाओं का काफी गहरा प्रभाव है।