‘जिनसे काम नहीं हो रहा वो रिटायर हो जाएं’ – कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का सख्त अल्टीमेटम

मल्लिकार्जुन खरगे का यह बयान कांग्रेस पार्टी में संगठनात्मक बदलाव और जवाबदेही की गंभीर मंशा को दर्शाता है। यह अल्टीमेटम न सिर्फ निष्क्रिय नेताओं के लिए चेतावनी है, बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए एक अवसर भी है।

अहमदाबाद | कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को पार्टी नेताओं को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि जो लोग पार्टी के कामकाज में योगदान नहीं दे रहे हैं, उन्हें या तो “आराम” करना चाहिए या फिर “सेवानिवृत्त” हो जाना चाहिए। गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर आयोजित कांग्रेस के संगठनात्मक अधिवेशन को संबोधित करते हुए खरगे ने पार्टी के भीतर अनुशासन और जवाबदेही की नई रूपरेखा पेश की।

जिला अध्यक्षों को मिलेगी ज़्यादा ज़िम्मेदारी

खरगे ने अपने संबोधन में कहा कि अब कांग्रेस में जिला स्तर पर नेतृत्व की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण होने जा रही है। उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार सख्ती और निष्पक्षता से की जाएगी।

“जिला अध्यक्ष को अपनी नियुक्ति के एक वर्ष के भीतर बूथ, मंडल, ब्लॉक और जिला समितियां गठित करनी होंगी। इसमें कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए,” – खरगे ने स्पष्ट किया।

चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की भागीदारी

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बड़े बदलाव का संकेत देते हुए कहा कि अब पार्टी में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में जिला अध्यक्षों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए देशभर के जिला अध्यक्षों की तीन बैठकें भी बुलाई गई थीं, जिनमें राहुल गांधी और उन्होंने खुद बातचीत की थी।

निष्क्रिय नेताओं को सख्त संदेश

खरगे ने पार्टी के उन नेताओं को भी आड़े हाथों लिया जो लंबे समय से सक्रिय राजनीति में रहते हुए संगठनात्मक जिम्मेदारियों से दूरी बनाए हुए हैं।

“जो लोग पार्टी के काम में मदद नहीं करते हैं, उन्हें आराम करने की जरूरत है, और जो अपनी जिम्मेदारियों को निभा नहीं रहे हैं, उन्हें रिटायर हो जाना चाहिए,” – खरगे का तीखा संदेश।

गांधी-पटेल के विचारों की ओर वापसी

साबरमती के तट से दिए गए इस भाषण में खरगे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सिद्धांतों की भी चर्चा की। उन्होंने पटेल के उस कथन को याद किया जिसमें संगठन को “सूती धागों से बने मजबूत कपड़े” की तरह बताया गया था, जिसकी असली ताकत एकता में है।

‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ का ऐलान

खरगे ने मौजूदा सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि देश एक बार फिर असमानता, भेदभाव, सांप्रदायिकता और गरीबी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है – और यह आजादी की दूसरी लड़ाई जैसी है।

“पहले विदेशी लोग अन्याय और सांप्रदायिकता का फायदा उठाते थे, आज हमारी अपनी सरकार ऐसा कर रही है। लेकिन हम ये लड़ाई भी जीतेंगे,” – खरगे ने कहा।

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