अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में भारत के पास एक ऐतिहासिक मौका है — खुद को दुनिया के लिए एक भरोसेमंद व्यापारिक साथी साबित करने का। लेकिन यह तभी संभव होगा जब भारत आंतरिक सुधार, इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, और नीतिगत स्थिरता को प्राथमिकता देगा।

नई दिल्ली:
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं — अमेरिका और चीन, अब आमने-सामने हैं। लेकिन इस बार जंग टैंकों या मिसाइलों से नहीं, बल्कि टैरिफ और ट्रेड वॉर से लड़ी जा रही है।
बिना गोली चले एक ऐसी लड़ाई छिड़ी है जिसका असर पूरे ग्लोबल मार्केट पर दिख रहा है — और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।
अमेरिका बनाम चीन: टैरिफ की जंग
हाल ही में अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर 125% तक का टैरिफ बढ़ा दिया।
पहले यह टैरिफ 104% था और चीन ने बदले में 84% टैरिफ का जवाब दिया था। अब यह व्यापारिक तनातनी और गहराती जा रही है।
दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा?
कहावत है, “जब दो हाथी लड़ते हैं, तो घास को नुकसान होता है”,
लेकिन इस बार कहानी थोड़ी अलग है — इस लड़ाई में तीसरे को फायदा भी हो सकता है, और वह तीसरा खिलाड़ी भारत हो सकता है।
चीन-अमेरिका की लड़ाई: किसे नुकसान, किसे फायदा?
टेस्ला जैसी कंपनियों पर असर
अमेरिकी कंपनियों की चीन में लागत बढ़ेगी और उनकी बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा।
वहीं चीन, अमेरिकी ब्रांड्स को किनारे कर यूरोपीय या घरेलू विकल्प तलाश सकता है।
भारत के लिए नए मौके
बहुत सी कंपनियां अब “चाइना प्लस वन” रणनीति पर चल रही हैं — यानी चीन के अलावा किसी और देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाना।
भारत, इस रणनीति में सबसे बड़ा विकल्प बन कर उभर रहा है।
भारत पर संभावित असर: फायदे और खतरे
नुकसान:
- आयात महंगा होगा: भारत अभी भी कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर है। टैरिफ बढ़ने से ये प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं।
- निर्यात को चुनौती: ग्लोबल अनिश्चितता से भारत के निर्यातकों को नुकसान हो सकता है, खासकर छोटे मैन्युफैक्चरर्स को।
फायदे:
- नए निवेशकों का रुझान: चीन से हटने वाली कंपनियों के लिए भारत आकर्षक गंतव्य बन सकता है।
- मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौका: भारत “मेक इन इंडिया” के तहत खुद को एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता देश के रूप में स्थापित कर सकता है।
चीन ने भारत को दिया साथ आने का न्योता
चीन ने अमेरिका के टैरिफ युद्ध के खिलाफ भारत को साथ आने की अपील की है।
बीजिंग में स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने कहा:
“चीन-भारत व्यापारिक रिश्ते परस्पर लाभकारी हैं। अमेरिका के टैरिफ के दुरुपयोग से निपटने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए।”
हालांकि भारत इस जटिल भू-राजनीतिक मोर्चे पर संतुलन बनाकर चल रहा है — वह न तो अमेरिका को नाराज़ करना चाहता है, न ही चीन से सीधा टकराव चाहता है।