महाराष्ट्र चुनाव में MNS का महायुति के साथ क्यों नहीं हो पाया था गठबंधन? सामने आई बड़ी वजह

बीएमसी चुनाव के लिए राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने तैयारियां तेज कर दी हैं। सूत्रों के मुताबिक, आज राज ठाकरे के घर शिवतीर्थ पर हुई मनसे की बैठक के दौरान आगामी बीएमसी चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करने की संभावनाओं पर चर्चा हुई। बैठक में कहा गया कि कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी मनसे के साथ गठबंधन करने के लिए सकारात्मक थी। बीजेपी मनसे के लिए कुछ सीटें भी छोड़ने के लिए भी राजी थी लेकिन एकनाथ शिंदे ने गठबंधन का रास्ता ब्लॉक कर दिया। एकनाथ शिंदे की वजह से महायुति के गठबंधन नहीं हो पाया। 

शिंदे की शर्तें नहीं माने थे राज ठाकरे

जानकारी के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने ऐसी शर्तें रखी जिसे राज ठाकरे कबूल करने के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि यह बात सामने नहीं आ पाई है कि आखिर एकनाथ शिंदे ने क्या शर्तें रखी थी जिसे राज ठाकरे मानने से इनकार कर दिए थे। 

जानकारी के अनुसार, अब MNS अपने फ्रंटलाइन नेताओं की एक कमेटी बनाएगी जो बीएमसी चुनाव के मद्देनजर महायुति के साथ गठबंधन करना है या नहीं इस पर चर्चा करेगी। कमेटी इस बात पर भी चर्चा करेगी कि अकेले चुनाव लड़ने पर कितना लाभ होगा और गठबंधन करने से पार्टी को कितना फायदा मिल सकता है। कमेटी अपना रिपोर्ट राज ठाकरे को सौंपेगी इसके बाद बीजेपी के साथ गठबंधन पर कोई फैसला लिया जा सकता है। 

बता दें कि राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में कहा था कि एमएनएस बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ेगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख ने 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था और राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था। अविभाजित शिव सेना से अलग होकर 2006 में एमएनएस की स्थापना करने वाले ठाकरे ने 2014 में खुले तौर पर पीएम पद के लिए मोदी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।

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