पब्लिक सर्वेंट के चुनाव लड़ने के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड वाली याचिका SC ने क्यों कर दी खारिज,

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि पब्लिक सर्वेंट के चुनाव लड़ने के लिए एक कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि पब्लिक सर्वेंट जैसे ही अपनी नौकरी छोड़ता है उसके तुरंत बाद उसे चुनाव लड़ने से रोका जाए और पब्लिक सर्वेंट के लिए एक कूलिंग ऑफ पीरियड तय होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए अर्जी खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने हालांकि याचिकाकर्ता को इस बात की इजाजत दे दी कि वह इस मामले में उपयुक्त अथॉरिटी को अप्रोच कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि इस बारे में दो दशक पहले सिफारिश की गई थी लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया है। इस कारण तमाम ब्यूरोक्रेट, जज और अन्य पब्लिक सर्वेंट अपने रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के बाद तुरंत चुनाव लड़ रहे हैं और उनके लिए कोई कूलिंग ऑफ पीरियड नहीं है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे पब्लिक सर्वेंट जिन्होंने अवैध तरीके से कुछ राजनीतिक पार्टियों फायदा पहुंचाते हों उन्हें टिकट ऑफर किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

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