उत्तर प्रदेश के नोएडा में ब्लड डोनेशन को लेकर बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। शहर के युवाओं में स्मोकिंग और ड्रिंकिंग की आदत तेजी से बढ़ी है। शौक से शुरू होने वाला नशा जिले के युवाओं को कमजोर बना रहा है। स्थिति यह है कि अधिकतर युवा अपनों की जान बचाने के लिए रक्तदान के भी काबिल नहीं रहे हैं। इसका असर जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में ब्लड बैंकों में रक्त की कमी के रूप में सामने आया है। शहर में ब्लड डोनर की कमी आने से अस्पतालों और सामाजिक संस्थाओं ने रक्तदान शिविरों की संख्या बढ़ा दी है। हालांकि इसके बाद भी मांग के अनुरूप ब्लड कम पड़ रहा है।
समाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों की मानें तो वर्ष 2023 से पहले पूरे साल में 4 से 5 कैंप लगाए जाते थे। जिनसे ब्लड की कमी पूरी हो जाती थी, लेकिन अब एक महीने में छह-छह कैंप लगाए जा रहे हैं। जांच में अधिकतर युवाओं का ब्लड लेने लायक नहीं होता। आंकड़ों में देखें तो जिले में ब्लड डोनर का रिजेक्शन रेट 25% तक हो चुका है। विशेषज्ञ इसका बड़ा कारण युवाओं में हैवी स्मोकिंग और ड्रिंकिंग की लत का होना मानते हैं। रिजेक्शन रेट अधिक होने के कारण ही ब्लड डोनेशन में 50% तक कमी आ गई है।
डॉक्टरों के अनुसार शराब, स्मोकिंग और खराब लाइफ स्टाइल के कारण युवाओं में लो बीपी और हाइपरटेंशन, शुगर, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां होना आम बात हो गई है। इसकारण अधिकतर युवा रक्त देने की स्थिति नहीं होते हैं। ब्लड डोनेट करने से पहले रक्तदाता के कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिनमें अधिकतर युवा फेल हो जाते हैं। इसीकारण नोएडा में ब्लड रिजेक्शन रेट 25% तक हो चुका है। इसका नतीजा है कि ब्लड डोनेशन में 50 प्रतिशतक की गिरावट आई है। ऐसे में मरीजों के परिजनों को ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं।