कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में उन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की, जिनकी नौकरियाँ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द हो गईं। इस दौरान ममता ने केंद्र और विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “शिक्षा व्यवस्था को तबाह करने की साजिश चल रही है। ये शिक्षक 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के भविष्य का निर्माण करते हैं। कई तो स्वर्ण पदक विजेता हैं, लेकिन उन्हें चोर और अक्षम बताया जा रहा है। किसने आपको यह अधिकार दिया? यह कौन सा खेल खेला जा रहा है?”
उन्होंने आगे कहा, “हम इस फैसले को चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे। हम संवेदनशील हैं, और इस बात को कहने के लिए मुझे जेल भी जाना पड़े, तो मुझे कोई परवाह नहीं!”
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा 2016 में की गई 25,000 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया गया था। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि “यह भर्ती प्रक्रिया बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी से प्रभावित थी। पूरी प्रक्रिया दागदार है, और इसमें हेराफेरी व कवर-अप के सबूत मिले हैं।”
शुभेंदु अधिकारी ने किया पलटवार

इस मामले में विपक्ष के नेता व भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “ममता बनर्जी को इस्तीफा देना चाहिए और जेल जाना चाहिए। वह इस घोटाले की मुख्य लाभार्थी हैं। उनके भतीजे ने 700 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है!” भाजपा विधायकों के साथ प्रदर्शन करते हुए उन्होंने ममता सरकार से जवाब तलब किया।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया, जिसमें SSC भर्ती घोटाले के चलते 25,000 से अधिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि “भर्ती प्रक्रिया में इतनी गड़बड़ियाँ थीं कि इसे बचाया नहीं जा सकता।” अब इन पदों पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे हजारों कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
निष्कर्ष
यह मामला पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तूफान ला चुका है। जहाँ ममता बनर्जी सरकार और शिक्षक संगठन कोर्ट के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं, वहीं भाजपा नेतृत्व विपक्ष इसे सरकार की “बड़ी विफलता” बता रहा है। अब देखना होगा कि आगे की कार्रवाई क्या होती है।