पहले इस मामले की जांच जयपुर पुलिस ने शुरू की थी, जिसे बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। जांच के दौरान NIA ने इस मामले में दो चार्जशीट दाखिल की थीं। पहली चार्जशीट आठ बम धमाकों से संबंधित थी, जिसके आधार पर जयपुर की निचली अदालत ने चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
जयपुर में 17 साल पहले हुए भीषण सीरियल बम धमाकों के मामले में स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चार दोषी आतंकियों — सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद — को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह सजा 2008 में चांदपोल बाजार में मंदिर के पास मिले जिंदा बम से जुड़े मामले में दी गई है।

क्या हुआ था 2008 में?
13 मई 2008 की शाम जयपुर शहर के लिए भयावह साबित हुई। करीब साढ़े सात बजे के आसपास शहर के व्यस्त और भीड़भाड़ वाले इलाकों — जैसे जौहरी बाजार, सांगानेरी गेट, त्रिपोलिया बाजार और चांदपोल बाजार — में एक के बाद एक आठ बम धमाके हुए। इन धमाकों में 71 लोगों की जान चली गई और 185 से अधिक लोग घायल हुए।
आतंकियों ने कुल नौ जगहों पर बम लगाए थे। हालांकि चांदपोल बाजार स्थित एक मंदिर के पास रखा गया नौवां बम समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।

जांच और कोर्ट का फैसला
पहले जयपुर पुलिस और फिर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले की गहन जांच की। इस दौरान दो अलग-अलग चार्जशीट पेश की गईं — पहली आठ धमाकों से संबंधित थी, जबकि दूसरी चार्जशीट डिफ्यूज किए गए बम को लेकर थी।
पहली चार्जशीट में चारों आरोपियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन 2023 में राजस्थान हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। हालांकि डिफ्यूज बम से जुड़े दूसरे मामले में स्पेशल कोर्ट ने चारों को फिर से दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई।
सबूत और गवाहियां
एनआईए ने कोर्ट के सामने 112 गवाहों की गवाही और 1200 से अधिक दस्तावेजी सबूत पेश किए। जयपुर की स्पेशल कोर्ट ने करीब 600 पन्नों में अपना विस्तृत फैसला दिया।