भाजपा नेता सी.आर. पाटिल ने वक्फ संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक सुधार बताया
सूरत : केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता सी.आर. पाटिल ने वक्फ संशोधन विधेयक 2023 को “देशहित में एक बड़ी जीत” बताते हुए कहा कि यह लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता है। लोकसभा और राज्यसभा में पारित इस विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि इससे वक्फ प्रोपर्टी के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और गैर-मुस्लिम हितधारकों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि इस विधयेक के चलते वक्फ बोर्ड की लगातार चल रही मनमानी पर भी रोक लगेगी। उन्होंने कहा की सूरत महानगरपालिका की एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग पर भी वक्फ ने अपना दावा किया था. इसके बाद सूरत महानगरपालिका को हाई कोर्ट जाना पड़ा और मामले में पालिका की जीत हुई थी.
विवादास्पद बदलावों पर पाटिल का पक्ष
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी: राज्य वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे, जिसे पाटिल ने “सामाजिक समरसता की दिशा में कदम” बताया।
- संपत्ति निर्धारण में सरकारी अधिकारी की भूमिका: विवादित संपत्तियों पर अंतिम फैसला अब सरकारी अधिकारी करेंगे, न कि केवल वक्फ बोर्ड।
- न्यायाधिकरण में सुधार: वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना को और अधिक पेशेवर बनाया गया है।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध क्यों?
विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि यह संशोधन:
- वक्फ की स्वायत्तता को कमजोर करता है।
- सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाता है।
- धार्मिक दान की परंपरा में राज्य का दखल अनावश्यक है।
वक्फ संपत्तियों का बड़ा आंकड़ा
- देश भर में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां (लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन)।
- इनका वार्षिक राजस्व हजारों करोड़ रुपये में आंका जाता है।
संसदीय समिति की भूमिका
विधेयक को पहले संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया, जिसने 14 संशोधनों को स्वीकार किया और 44 को खारिज कर दिया। समिति ने विवादित प्रावधानों में संतुलन बनाने का प्रयास किया।
निष्कर्ष
पाटिल के अनुसार, यह विधेयक “देश की संपत्ति को अवैध कब्जों से बचाने” और वक्फ प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक साहसिक कदम है। हालांकि, विपक्ष इसे “मुस्लिम विरोधी एजेंडा” बता रहा है। अब यह देखना होगा कि क्या यह कानून वास्तव में सामुदायिक विश्वास बनाने में सफल होता है या नया विवाद खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को अधिकार है कि वह सुप्रीम कोर्ट जाये, उन्हें भी अपने वोट बैंक के खातिर ऐसा करना पड़ता है. लेकिन विधेयक पूरी प्रक्रिया के तहत पास हुआ है ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कोर्ट का फैसला भी इस विधेयक के पक्ष में रहेगा।