बोर्ड परीक्षा का प्रचंड परिणाम शिक्षा की दुकानों के हित में तो नहीं…?

बोर्ड परीक्षा का प्रचंड परिणाम शिक्षा की दुकानों के हित में तो नहीं…?
गुजरात के शिक्षा जगत के इतिहास में पहली बार HSC और SSC बोर्ड परीक्षाओं का प्रचंड परिणाम आया है। प्रचंड शब्द इस लिए है कि अब तक ऐसा और इतना परिणाम कभी नहीं आया। क्या हमारे बच्चे सही में इतने होशियार और काबिल हो गए है? परिणाम से अभिभावक फूले नहीं समा रहे होंगे यह निश्चित है, लेकिन गहराई में सोचने की किसी की हिम्मत नहीं होगी। पिछले वर्ष के अखबार की खबरें खंगालों तो पता चलेगा। डिप्लोमा और इंजीनियरिंग की इतने सीटें रिक्त, बीबीए, बीसीए की इतनी सीटें रिक्त, फलाने – फलाने कोर्स की उतनी सीटें रिक्त। पूर्व में तो कई सारी सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को पाठ्यक्रम तक बंद करने पड़े। अब इस बार की खबरें पढ़ना इंजीनियरिंग में वेटिंग लिस्ट, बीबीए, बीसीए में सीटें हाउस फुल। आखिर यह बदलाव कैसे ? मेरा खुद का मानना है( कोई माने या ना माने) शिक्षा की दुकानों को चालू रखने का यह सबसे बड़ा षड्यंत्र है। परिणाम इतना ऊंचा आया है कि सीटें कम पड़ेगी। यानी सभी की दुकानों में इस बार माल पूरा होगा। जब माल पूरा होगा तो धंधा बेहतर और मुनाफा भी होगा। एक बात गौर करने जैसी है इस बार ऊपर से आदेश था कि विद्यार्थी सवाल का जवाब सटीक नहीं भी लिखे, लेकिन उससे संबधित जवाब लिखे तो भी मार्क्स देने हैं, मतलब सभी अंकों से मालामाल! भले आज हम फूले नहीं समा रहे कि राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग की सीटें बढ़ गई। लेकिन सरकारी और अनुदानित सीटें कितनी बढ़ी? BBA और BCA की दक्षिण गुजरात में कोई अनुदानित या सरकारी कॉलेज है? पिछले कुछ वर्षो में सरकारी और अनुदानित हाईस्कूल बंद हो गई या बंद होने के कगार पर है। अब 10वीं कक्षा में इतने सारे छात्र पास हुए हैं, लेकिन सरकारी और अनुदानित हाईस्कूल में इतनी सीटें नहीं है। अभिभावकों के पास विकल्प क्या है? निजी स्कूलों में प्रवेश! खैर हमे ( जनता ) को समझना है हम किस ओर जा रहे है।

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