निचले दर्जे का निजी हमला… ममता पर अभद्र टिप्पणी करने वाले पूर्व जज पर EC सख्त, क्या ऐक्शन लिया?

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी को लेकर मंगलवार को सख्त फैसला लिया है। आयोग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय के चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी। आयोग ने अपने आदेश में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से पार्टी की ओर से सभी उम्मीदवारों और प्रचारकों को परामर्श जारी करने को कहा ताकि सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की गलती दोबारा न हो। निवार्चन आयोग ने गंगोपाध्याय की टिप्प्णी को ‘निचले दर्जे का निजी हमला’ करार दिया और कहा कि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।
निर्वाचन आयोग ने तमलुक से भाजपा उम्मीदवार गंगोपाध्याय को चेतावनी दी कि वह चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक रूप से बयान देने के दौरान सतर्क रहें।

बनर्जी पर गंगोपाध्याय द्वारा की गई टिप्पणी का संदर्भ देते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा, ” यह कहते हुए दुख हो रहा है कि इस तरह के भद्दे शब्द गंगोपाध्याय द्वारा इस्तेमाल किए गए जो शिक्षित हैं और जिनकी पेशेवर पृष्ठभूमि है। इसलिए वह संदेह के किसी भी लाभ के अधिकारी नहीं हैं।” निर्वाचन आयोग ने गंगोपाध्याय को बनर्जी के खिलाफ कथित ‘असम्मानजनक’ टिप्पणी को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसका जवाब उन्होंने सोमवार को दाखिल किया था। आयोग ने आदेश में कहा, ‘आयोग ने अभिजीत गंगोपाध्याय के उपरोक्त उत्तर में दी गई सामग्री और कथनों को ध्यान से पढ़ा है और दिए गए बयान को फिर से देखा है। आयोग आश्वस्त है कि उन्होंने निम्न स्तर का व्यक्तिगत हमला किया है और इस प्रकार आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।’ इसमें कहा गया, ‘इसलिए, आयोग उपरोक्त कदाचार के लिए गंगोपाध्याय की कड़ी निंदा करता है और उनके 21 मई की शाम पांच बजे से 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाता है।’

निर्वाचन आयोग ने कहा कि नियमों के अनुसार नेता द्वारा अन्य पार्टियों की आलोचना उसकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित होनी चाहिए और ”निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जो कि अन्य दलों के नेता या कार्यकर्ता की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं हैं।” आदेश में कहा गया अप्रमाणिक आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य पार्टियों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से भी बचना चाहिए।

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