संसद में नीट पर हंगामा… स्टालिन ने राहुल, पीएम समेत 8 राज्यों के सीएम को लिखा पत्र, जानें वजह

एग्जाम में अनियमितताओं पर सियासी घमासान चरम पर है। संसद में इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी। नीट मामले पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया। इस वजह से लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दल NEET परीक्षा और अन्य परीक्षाओं से जुड़े मुद्दों पर तुरंत चर्चा की मांग कर रहे थे। वहीं सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर चर्चा होनी थी। सत्तापक्ष और लोकसभा अध्यक्ष की ओर से विपक्षी सांसदों को समझाने की कोशिशें हुईं। हालांकि, बात नहीं सकी जिसके चलते सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। दूसरी ओर नीट परीक्षा खत्म करने को लेकर एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 8 राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने राहुल गांधी को भी पत्र लिखा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर प्रदेश को NEET से छूट की मांग को उठाने का अनुरोध किया। इसके साथ ही उन्होंने INDIA गठबंधन से अपने विधानसभाओं में NEET परीक्षा के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया। तमिलनाडु विधानसभा ने शुक्रवार को एक बार फिर आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से आग्रह किया कि वह राज्य को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट दे। उन्होंने ये भी अपील किया कि 12वीं की परीक्षा के नंबर्स के आधार पर छात्रों को मेडिकल पाठ्यक्रमों में एंट्री देने की अनुमति दे। बीजेपी सदस्यों के विरोध और सदन से वॉकआउट के बीच प्रस्ताव पारित हुआ। इसमें केंद्र से राष्ट्रीय मेडिकल आयोग अधिनियम में संशोधन करने और नीट में कथित अनियमितता के मद्देनजर कई राज्यों में विरोध बढ़ने के चलते देशव्यापी परीक्षा को समाप्त करने का आह्वान किया गया है।हालांकि, बीजेपी की सहयोगी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। स्टालिन ने तर्क दिया है कि यह परीक्षा भेदभावपूर्ण है और ग्रामीण और गरीब छात्रों को मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित करती है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने दावा किया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ राज्यों को योग्यता मानदंड के रूप में 12वीं पास छात्रों को मेडिकल शिक्षा में प्रवेश देने के उनके अधिकार से वंचित करती है।

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