केंद्र सरकार ने वक्फ (सुधार) अधिनियम, 2025 को 8 अप्रैल 2025 से देशभर में लागू कर दिया है। इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए जानकारी दी कि अधिनियम की प्रावधानों को अब प्रभावी किया जा रहा है।
यह अधिनियम हाल ही में संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – से पारित हुआ था। बिल को पारित करते समय विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध किया था और इसे गैर-संवैधानिक बताया था। इसके बावजूद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे अपनी मंजूरी प्रदान कर दी थी।
अधिनियम का उद्देश्य क्या है?
सरकार का कहना है कि इस अधिनियम के ज़रिए वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही यह वक्फ संपत्तियों से जुड़े गरीब और वंचित मुस्लिम समुदायों को उनके अधिकार दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
प्रमुख प्रावधान
- वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन: वक्फ बोर्ड में इस्लाम के विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा। साथ ही सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 22 सदस्य होंगे, जिनमें से अधिकतम 4 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
- संपत्तियों की निगरानी:
वक्फ संपत्तियों की उचित निगरानी और प्रबंधन के लिए चैरिटी कमिश्नर की नियुक्ति की जाएगी। - महिलाओं और अनाथों की सुरक्षा:
कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है, लेकिन विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों की संपत्तियों को वक्फ नहीं बनाया जा सकता। - विवाद समाधान की व्यवस्था:
वक्फ से जुड़े 31,000 से अधिक लंबित मामलों को देखते हुए वक्फ ट्रिब्यूनल को सशक्त बनाया गया है। साथ ही निर्णय से असंतुष्ट पक्ष को सिविल कोर्ट में अपील करने की अनुमति होगी। - राष्ट्रीय स्मारकों की सुरक्षा:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन आने वाली संपत्तियों को अब वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।