बीजेपी ने 2019 के मुकाबले 2024 में कम सीटें हासिल कीं, जिसमें विवादित बयानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। अब पार्टी संदेशों को कंट्रोल करने और सामाजिक न्याय के प्रतीकों को सामने लाने पर फोकस कर रही है। आने वाले विधानसभा चुनावों में यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नेताओं को संविधान, आरक्षण और डॉ. आंबेडकर से जुड़े मुद्दों पर विवादित बयान देने से रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह निर्णय बीआर आंबेडकर सम्मान अभियान की राष्ट्रीय कार्यशाला में लिया गया, जहां पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने स्पष्ट किया कि नेता पार्टी लाइन से हटकर बयान न दें।
क्यों पार्टी ने उठाया यह कदम?
- पिछले चुनाव में नुकसान:
- 2024 लोकसभा चुनाव में संविधान में बदलाव जैसे बयानों की वजह से बीजेपी को यूपी, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में नुकसान उठाना पड़ा।
- विपक्ष ने इन बयानों को भुनाकर “संविधान खतरे में” का नारा दिया, जिससे बीजेपी को रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ा।
- विवादित बयानों का असर:
- अनिल हेगड़े: “संविधान में कई बार संशोधन हुए हैं, हम भी करेंगे।”
- लल्लू सिंह: “संविधान बदलने के लिए अधिक सांसद चाहिए।”
- ज्योति मिर्धा: “देशहित में संवैधानिक बदलाव जरूरी हैं।”
- इन बयानों ने बीजेपी के खिलाफ नैरेटिव बनाने में विपक्ष की मदद की।
- डैमेज कंट्रोल नाकाम:
- पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान “संविधान अछूता रहेगा” का संदेश दिया, लेकिन विवादित बयानों की वजह से जनता का भरोसा बहाल करने में मुश्किल हुई।
अब क्या होगा?
- 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती पर बीजेपी बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेगी।
- सभी नेताओं को डॉ. आंबेडकर के योगदान और संविधान की रक्षा पर जोर देने के निर्देश दिए गए हैं।
- प्रदेश स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित कर कार्यकर्ताओं को सेंसिटाइज किया जाएगा।